
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने ज्ञानवापी परिसर में आयोजित हो रहे सर्वे की मीडिया कवरेज पर मस्जिद पक्ष ने आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे गलत तरीके से विवादित करार देने के बाद जिला जज की अदालत में एक प्रार्थना पत्र दिया है। उस पत्र में यह बताया गया है कि जिस स्थान का सर्वे अभी तक शुरू नहीं हुआ है, उस स्थान के बारे में इंटरनेट, प्रिंट, और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में गलत और असत्य रिपोर्टिंग की जा रही है, जबकि सर्वेक्षण टीम द्वारा कोई भी बयान नहीं दिया जा रहा है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने रिपोर्टिंग को तथ्यहीन बताते हुए मीडिया की रिपोर्टिंग पर रोक की मांग की है। अदालत ने इस मामले में अन्य पक्षकारों से आपत्ति तलब करते हुए सुनवाई के लिए नौ अगस्त को तिथि निर्धारित की है। जिला जज की अदालत में बुधवार को श्रृंगार गौरी मूल वाद में राखी सिंह की तरफ से दिए गए एक आवेदन पर भी सुनवाई होगी, जिसमें ज्ञानवापी परिसर की सुरक्षा और संरक्षण की मांग की गई है।
ज्ञानवापी परिसर में चल रहे एएसआइ सर्वे के दृष्टिगत शहर में शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मंगलवार की शाम को चौक थाना में पीस कमेटी की एक बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में सभी धर्मों के धर्मगुरु, शांति समिति के सदस्य, ज्ञानवापी केस के प्रोत्साहक और उसके वकील और समर्थक उपस्थित थे।
डीसीपी आरएस गौतम ने इस बैठक में बताया कि पुलिस इंटरनेट मीडिया पर नजर रख रही है और वे अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। उन्होंने आगाह किया कि अफवाहों से बचना महत्वपूर्ण है और अगर कोई अफवाह फैलाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बैठक के दौरान सभी मौजूद व्यक्तियों से यह अपील की गई कि वे अपने पास के युवाओं को समझाएं कि वे किसी भी बहकावे में न आएं। उन्हें भ्रांतिकारक संदेशों से बचना चाहिए और सत्य को पहचानने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही, भेलूपुर के एसीपी प्रवीण सिंह ने रेवड़ी तालाब पुलिस चौकी में शांति समिति की बैठक में भाग लिया। इस माध्यम से शामिल लोगों ने पुलिस द्वारा गश्त बढ़ाने और खुफिया तंत्र को सतर्क रहने की सलाह दी।
इसके साथ ही, संकट मोचन पुलिस चौकी में हुई बैठक में एसीपी ने लोगों से यह सूचना दी कि अगर किसी व्यक्ति द्वारा अफवाह फैलाई जाती है तो तुरंत 112 या थाने के नंबर पर सूचना देनी चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि बाहर से आने वाले व्यक्ति पर नजर रखनी चाहिए और संदिग्ध व्यक्ति के आपरूप में पहचान के बाद उसकी सूचना देनी चाहिए, जो तुरंत उनके आफिस या थाने में की जा सकती है। सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रूप से रखी जाएगी।