नूंह हिंसा मामले में रोहिंग्या के संलिपि से जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

Posted by: Videh News| Updated Date: Wed, Aug 9, 2023, 8:27 AM IST
नूंह हिंसा मामले में रोहिंग्या के संलिपि से जुड़े दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

31 जुलाई को खेड़ला चौक में हुए धार्मिक यात्रा में शामिल हिंदू संगठनों के सदस्यों पर हिंसक हमले में दो रोहिंग्या भी शामिल थे, और उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। इस घटना की जांच के साथ ही, लगभग दो हजार रोहिंग्या के आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों की जांच भी की जाएगी। यह घटना नूंह शहर में हुए हिंसात्मक वादों के चलते आई है।

खेड़ला चौक में हुई हिंसा में पकड़े गए सैफुल्ला और महबूब से पूछताछ की गई, और उन्होंने स्वीकार किया कि वे म्यांमार से असम आये थे और वहां के निवासी बनने के लिए आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज बनवाए थे। उन्होंने कहा कि वे असम से दिल्ली आये और फिर नूंह में एक मौलाना के संपर्क में आए, जिनके बाद से डेढ़ साल पहले वह नूंह में रहने लगे थे। सैफुल्ला गांव नंगली और महबूब पुराना बस स्टैंड के पास आवास करते थे, जिन्हें रोहिंग्या कैंप के नाम से भी जाना जाता है।

जिला प्रशासन द्वारा 2000 परिवारों की जांच शुरू

हिंसा में रोहिंग्या कनेक्शन: जिला प्रशासन द्वारा 2000 परिवारों की जांच शुरू है। इसमें उल्लिखित है कि रोहिंग्या कनेक्शन जुड़ी विकल्प जांच की जा रही है जिला प्रशासन द्वारा। जांच में आया कि जिला में प्रायः 2000 रोहिंग्या परिवार आवास कर रहे हैं, जिनके पहचान पत्र की जाँच होगी। वे कैसे अपने आधार कार्ड बनवाए हैं, यह भी जाँचा जाएगा। हिंसा के अगले दिन तावडू में 200 झुग्गियों को प्रशासन द्वारा बुलडोजर से हटाया गया था, जो रोहिंग्या परिवारों के साथ रह रहे थे।

खेड़ला चौक पर हुई हिंसा में गिरफ्तार होने वाले सैफुल्ला और महबूब ने खोल दी है रोहिंग्या समुदाय के संजीवन बाजार के आधार कार्ड की कहानी। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने म्यांमार से असम आने के लिए राह चुनी थी और आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज़ बनवाए थे। उन्होंने बताया कि वे असम पहुंचकर नूंह में एक मौलाना के संपर्क में आए थे और वहां रुकने लगे थे, जिसके बाद वे गांवों में रहने लगे थे जिन्हें “रोहिंग्या कैंप” के रूप में जाना जाता है। सैफुल्ला गांव नंगली में रहता था जबकि महबूब पुराना बस स्टैंड के पास रहता था, और यह दोनों जगहें रोहिंग्या परिवारों के लिए आवास स्थल के रूप में भी जानी जाती हैं।