बकरी चोरी का अनोखा केस, चोरी से भर ली तिजोरी 10 करोड़ की इमारत बना ली

Posted by: Tiwari Amit| Updated Date: Sat, Aug 19, 2023, 9:57 AM IST
बकरी चोरी का अनोखा केस, चोरी से भर ली तिजोरी 10 करोड़ की इमारत बना ली

पटना की कोतवाली पुलिस ने नट खलीफा गिरोह के तीन शातिर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इन अपराधियों के घरों की भव्यता के साथ साथ उन्होंने बकरी चोरी करके और लोगों की जेब से पैसे चुराकर दस करोड़ की इमारत भी खड़ी की है। इन अपराधियों ने दो महीने के अंतराल में अपनी आटो में यात्रियों को बैठा कर उनकी जेब से सात लाख रुपये भी उड़ा लिए हैं।

इन अपराधियों ने लगभग एक दर्जन लोगों की जेब और बैग से सोने-चांदी के जेवरात भी चुराये हैं। जब पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया तो उनके पास आटो, पैसे, सोने-चांदी के गहने, मोबाइल और अर्जित संपत्ति के कागजात भी मिले। सभी आरोपित आपस में रिश्तेदार हैं और पारिवारिक पेशे के रूप में इस प्रकार के अपराध करते रहे हैं। इसकी जानकारी सिटी एसपी वैभव शर्मा ने दी है।

आयकर विभाग और ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) की मदद ले रही है।

इन आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस उनकी संपत्ति की जांच कर रही है। इसके लिए पुलिस आयकर विभाग और ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) की मदद ले रही है। इन दोनों एजेंसियों की जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आरोपितों की संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई करेगी।

आरोपितों के पास लगभग चार करोड़ रुपये की संपत्ति की जानकारी है और पुलिस उनके दस्तावेजों को एकत्र करने की तैयारी में है।

वीरू ने गिरोह के मुख्य आरोपितों का गतिविधि के बारे में बताया कि उनका प्रमुख पेशा बकरी चोरी है। वे दिन में घरों और गांवों की खोज करके बकरीयों को चुराते थे और रात में इन बकरियों को पटना के चितकोहरा में बाजार में बेचते थे।

वीरू की ताकत उसकी यातायात कौशल में है, और वह आटो चलाने में माहिर है। इस कौशल के साथ, गिरोह ने अपने अपराधिक गतिविधियों को चुपाने के लिए दूसरे तरीके का उपयोग किया।

अपराधिक क्रियाओं के लिए लोगों को शिकार बनाता था

वीरू ने अपनी कौशल का उपयोग करके सुबह के समय बैरिया या पटना जंक्शन के पास से उन यात्रीगण को आटों में बैठाया जिनकी जेबें भरपूर होती थी।

उसे यह बात पता थी कि बिहार के सोने और चांदी के व्यापारिक कर्मचारी कोलकाता से आकर भोर वाली ट्रेन से आते हैं और इसके बाद वे आटों में बैठकर बाकरगंज की ओर बढ़ते हैं, इसलिए उसने इस क्षेत्र को चुना।

गिरोह इस तरह के अपराधिक क्रियाओं के लिए लोगों को शिकार बनाता था। वे अक्सर उन यात्रीगण को बीच में बैठाने का बहाना बनाते थे जो सवारी वाली सीट पर संतोष और अजय के पहले से बैठे होते थे। उन्होंने यात्री की जेब काट ली और उसकी जेब से पैसे उड़ा लिए।

इसके बाद, वीरू एक बहाना बना कर आटों को रोक देता और यात्री को उतारकर तीनों आरोपित भाग जाते थे। अगर कई बार यात्री नहीं उतरते थे तो शातिर उन्हें धक्का देकर आटों से फेंक देते थे।

इस तरह की एक घटना को 20 मई को कोतवाली थाना क्षेत्र में दर्ज किया गया था, जिसमें आटो से गिरने के बाद यात्री के हाथ की हड्डी टूट गई थी।

वारदात करने के बाद, गिरोह के सदस्य समाचारपत्र पढ़ते थे

वारदात के बाद गिरफ्त में आने के बाद, वीरू नट ने बताया कि वह दूसरों के नाम से आटो खरीदने के बाद वारदात के लिए उन्हें इस्तेमाल करता था।

उसके पास मिले आटों का नंबर सत्यापन के लिए जाँच की गई, और यह पता चला कि वे दुसरे व्यक्तियों से खरीदी गई थीं, और ये भी दूसरे हाथों में सेकेंड हैंड (दोबारा खरीदी गई) थीं।

वारदात करने के बाद, गिरोह के सदस्य समाचारपत्र पढ़ते थे, ताकि उन्हें पता चल सके कि वे शिकार हुए व्यक्ति ने पुलिस थाने में रिपोर्ट की है या नहीं? अगर रिपोर्ट समाचारपत्र में प्रकाशित होती थी, तो वे अपने घरों को छोड़ कर फरार हो जाते थे।

पांच मंजिले मकान के सभी कमरों में बड़े एलईडी स्क्रीन वाले टीवी और एसी लगे थे

संतोष की गिरफ्तारी के लिए जब पुलिस बेउर थाना क्षेत्र के पारनदी हसनपुर मोहल्ले में पहुंची, तो उसके मकान का दृश्य पुलिसकर्मियों को चौंका दिया। पांच मंजिले मकान के सभी कमरों में बड़े एलईडी स्क्रीन वाले टीवी और एसी लगे थे।

पुलिस जमीन समेत मकान की कीमत का अनुमान लगभग दस करोड़ रुपये लगा रही है। वहीं, उसके घर से एक करोड़ 75 लाख रुपयों के अलग-अलग जमीन को लेकर किए गए एग्रीमेंट के कागजात मिले।

अजय के पास से वाहनों की खरीद-बिक्री के भी दस्तावेज बरामद हुए। गिरोह ने 15 फरवरी से नौ जुलाई के बीच गांधी मैदान, कोतवाली, अगमकुआं और सचिवालय थाना क्षेत्रों में आठ वारदात करने की बात स्वीकार की है।

पुलिस टीम जब वीरू नट को गिरफ्तार करने उसके घर पहुंची, तो दिव्यांग होने के बावजूद वह सीढ़ियों से चढ़कर छत पर पहुंच गया था। वह दूसरे मकान की छत पर कूदने वाला था, लेकिन पुलिस ने इससे पहले ही उसे दबोच लिया।