
अब मुजफ्फरपुर जिले में गर्मी का कहर कम नहीं हो रहा है। इसके कारण तापमान में कोई गिरावट नहीं होने से बच्चे जांडिस (पीलिया) के बाद अब मिजिल्स (खसरा) के शिकार हो रहे हैं। शिशु रोग विशेषज्ञों के अलावा केजरीवाल और एसकेएमसीएच अस्पताल में गंभीर हालत में जांडिस से पीड़ित लगभग एक दर्जन बच्चे भर्ती हुए हैं। इसके अलावा मिजिल्स से प्रभावित बच्चों को सर्दी, खांसी, नाक बहना, आंखों में जलन, गले में खराश, बुखार और त्वचा पर लाल चकत्ते हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त, दूषित पानी के उपयोग के कारण बच्चों में जांडिस के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
यह दोनों बीमारियाँ जीवनघाती हो सकती हैं
चिकित्सकों और विशेषज्ञों द्वारा कहा जाता है कि गर्मी के मौसम में बच्चों की विशेष देखभाल करना आवश्यक होता है। मिजिल्स वायरस खांसी या छींक के साथ उड़ती हवा में फैलता है। इसके संपर्क में आने के 14 से 19 दिनों तक इसके लक्षण प्रकट नहीं होते हैं, लेकिन बाद में संक्रमण के प्रभाव दिखाई देने लगते हैं। इसलिए गर्मी के मौसम में बच्चों को खास ध्यान देना चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि इस समय उन्हें पौष्टिक भोजन और स्वच्छ पानी प्रदान करना चाहिए। साथ ही, स्वच्छता का ध्यान रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दोनों बीमारियाँ जीवनघाती हो सकती हैं, और अच्छे और सही इलाज की आवश्यकता हो सकती है।
निमोनिया के कारण 20 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो रही है।
वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण साह ने बताया कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में मिजिल्स के प्रकोप की स्थिति गंभीर हो रही है। इसे एक जानलेवा वायरल इन्सेफेक्शन बीमारी कहा जाता है। साथ ही, अपोषित बच्चों में निमोनिया के कारण 20 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो रही है। इससे बचाव के लिए, बच्चों को पिछले टीकाकरण के बावजूद एक डोज़ एमआर वैक्सीन देना चाहिए। इस असहनीय गर्मी के मौसम में, बच्चों की विशेष देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है ताकि उन्हें इन बीमारियों से दूर रखा जा सके।