चंद्रयान 3 लैंडिंग: भारत ने वह कर दिखाया, जो दुनिया नहीं कर सकी, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भारत ने लहराया तिरंगा

Posted by: Videh News| Updated Date: Wed, Aug 23, 2023, 8:43 PM IST
चंद्रयान 3 लैंडिंग: भारत ने वह कर दिखाया, जो दुनिया नहीं कर सकी, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर भारत ने लहराया तिरंगा

इसरो के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्रमा मिशन ‘चंद्रयान-3’ के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने बुधवार शाम चंद्रमा की सतह को चूम कर अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता की एक नई इबारत रची। वैज्ञानिकों के अनुसार इस अभियान के अंतिम चरण में सारी प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित योजनाओं के अनुरूप ठीक से चली। यह एक ऐसी सफलता है जिसे न केवल इसरो के शीर्ष वैज्ञानिक बल्कि भारत का हर आम और खास आदमी टीवी की स्क्रीन पर टकटकी बांधे देख रहा था। लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम ने बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। यह एक ऐसी उपलब्धि है, जो अब तक किसी भी देश को हासिल नहीं हुई है। 

14 जुलाई को इसरो ने चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था, जिसके बाद यह पृथ्वी और चंद्रमा के चक्कर लगाता हुआ बुधवार को चांद की सतह पर लैंड कर गया। भारत ने अपने तीसरे मून मिशन में यह बड़ी कामयाबी हासिल की है। चार साल पहले, सितंबर 2019 में भी चंद्रयान-2 की लैंडिंग की कोशिश की गई थी, लेकिन ऐन मौके पर सफलता नहीं मिल सकी थी। इसी वजह से इसरो के वैज्ञानिकों ने इस बार पूरी तैयारी की थी। चंद्रयान-3 में कई तरह के बदलाव किए थे, जिससे इस बार सफलता मिलने के ज्यादा चांसेस थे। तीसरे मून मिशन पर न सिर्फ भारत की नजर थी, बल्कि पूरी दुनिया लॉन्चिंग के बाद से ही इस पर टकटकी लगाए बैठी हुई थी। 

14 जुलाई को भारत ने अपने तीसरे चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था, और इससे बड़ी ताकत का प्रतीक दिखाया। इसरो के इस मिशन के माध्यम से भारत ने चंद्रमा की सतह पर लैंड करने का प्रयास किया, और इस प्रयास में सफलता प्राप्त की।

चंद्रयान-3 का लॉन्च हिस्ट्रिकल था, क्योंकि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने का प्रयास था, जिसे पहले किसी भी देश ने सफलता प्राप्त नहीं की थी। इस मिशन के सफलता के साथ, भारत बन गया दुनिया का पहला देश जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की है।

चंद्रयान-3 मिशन के तहत कई महत्वपूर्ण प्रयासों और परिश्रम के बाद, इसरो ने यह उपलब्धि हासिल की है, और यह दिखाता है कि भारत अंतरिक्ष में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है। यह मिशन भारतीय वैज्ञानिकों की कठिन मेहनत, उनके अद्वितीय नौकरियों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसरो के प्रतिष्ठान को बढ़ावा देने का प्रतीक है।

चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में और भी अधिक सशक्त बनाया है, और इस मिशन के सफल होने से दुनिया को दिखाया है कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम की लैंडिंग में सफलता के लिए देशवासियों, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और वैज्ञानिक समुदाय को बधाई दी। उन्होंने इस महत्वपूर्ण पल को ‘अविस्मरणीय, अभूतपूर्व’ और ‘विकसित भारत के शंखनाद’ का संकेत माना।

इसरो ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम की साफ्ट लैंडिंग कराने में सफलता हासिल की। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर साफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश तथा चांद की सतह पर साफ्ट लैंडिंग करने वाले चार देशों में शामिल हो गया है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर दक्षिण अफ्रीका से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा, “जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्रीय जीवन की चिरंजीव चेतना बन जाती है।”