
बिहार में चिकनपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस मामले को देखते हुए स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यापालक निदेशक संजय कुमार सिंह को एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में चिकनपॉक्स से बचाव, प्रबंधन और उपचार के लिए आवश्यक निर्देश शामिल हैं।
चिकनपॉक्स का कारण वीजेडवी (वरसीला जोस्टर वायरस) है
चिकनपॉक्स का कारण वीजेडवी (वरसीला जोस्टर वायरस) है, जो अत्यंत संक्रामक होता है और तेजी से फैलता है। इस वायरस से अधिकांशतः बच्चे प्रभावित होते हैं, लेकिन इससे वयस्कों की भी पीड़ा होती है। इस संक्रमण से बचने के लिए स्कूल और आंगनबाड़ी सेंटरों को विशेष सतर्कता बरतने का निर्देश जारी किया गया है।
स्वास्थ्य समिति के निदेशक संजय कुमार सिंह ने भी चिकनपॉक्स से बचाव के लिए जनसमूहों के बीच जागरूकता बढ़ाने की अपील की है। इसके साथ ही चिकनपॉक्स के मामलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी और उच्चतम सतर्कता बरती जाएगी ताकि इस संक्रमण का प्रसार रोका जा सके।
चिकनपॉक्स महामारी तेजी से फैल रही
एक छोटे गांव में एक चिकनपॉक्स महामारी तेजी से फैल रही थी। यह महामारी बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर रही थी और इसके कारण उन्हें स्कूल और आंगनवाड़ी केंद्र नहीं जाने दिया जा रहा था। जब बच्चों को यह समझाया गया कि वे घर पर ही रहें और सुरक्षित रहें, तो वे अपने माता-पिता के साथ घर पर ही बैठ गए।
विधानसभा में चिकनपॉक्स की महामारी के बारे में चर्चा हो रही थी और सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालों को जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लोगों को चिकनपॉक्स के लक्षणों के बारे में जागरूक कर रहे थे और उपचार के लिए निर्देश भी दिए गए।
प्रभावित बच्चों और लोगों को छह दिनों तक आइसोलेशन
चिकनपॉक्स से प्रभावित बच्चों और लोगों को छह दिनों तक आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई थी। इसके अलावा, वायरस से पीड़ित लोगों को छींकते या खांसते समय रूमाल या नैपकिन रखने की सलाह दी गई थी। साथ ही, हर बार हाथ धोने का सुझाव भी दिया गया
चिकनपॉक्स के खतरे से ज्यादा अधिक व्यस्क, गर्भवती महिलाएं, वृद्ध, कमजोर इम्युनिटी वाले और नवजात शिशु में होता है। इसलिए, अगर किसी में चिकनपॉक्स के लक्षण पाए जाते हैं, तो उन्हें हेल्थ फैसिलीटेटर, एएनएम या आशा वर्कर से संपर्क करना चाहिए। एडवाइजरी में बताया गया है कि बच्चों को एस्प्रिन नहीं देना चाहिए। हालांकि, कुछ नॉन-एस्प्रिन समूह की दवाएं जैसे एसीटामीनोफेन चिकित्सकीय सलाह पर संक्रमित व्यक्ति को दी जा सकती है।